श्री पण्डोखर सरकार चालीसा lyrics Audio,Video
श्री पण्डोखर सरकार चालीसा lyrics
दोहा :
शारद सुमरि मनहीं मन ,भज गौरी के लाल ।
गुरु कृपा सन्मुख करू, कष्ट हरहि तत्काल ॥
बालाजी पूजन जहाँ, वहाँ बलि हनुमान ।
मम कुटिया पर कर कृपा, देवा हाथीवान ॥
दवापर कर्ण जनहि तुम आनी।
ना उन सम कोऊ जगदानी ॥
गुरु महिमा पंडोखर जागी ।
जो जन आय होय बड़ भागी ॥
हाथीवान बीर बल धारी ।
परमहंस संगी हितकारी॥
बरहा नाम सुन्दरही ग्रामा ।
हाथीवान देव को धामा ॥
गजवाहन पर देवा राजै।
सुन्दर सुखदही सूरत साजै ॥
पूरब दिश मंदिर जहि सोई।
सुन्दर सुखद रम्य जहि होई॥
जो समाधि पश्चिम दिश होई।
परम हंस पागल की सोई ॥
पागल प्रेम जिनहि अति भारे ।
कटही बन्ध वे भये निवारे ॥
हर अमावस भरहि जहि मेला।
भाजहि भूत हंसहि सब चेला ॥
कलयुग में जै पुन्य प्रतापी ।
मारही अधम होहि जो पापी ॥
सकल सिद्ध सब कारज होई।
जो जन आन तपै सो कोई ॥
जाके घर में झुले न पलना ।
जो तुरतहि चाहो तुम ललना ॥
हर मावस पंडोखर आई ।
ताको तुरतहि सुत मिल जाई ॥
जो जन दर पै मन से आई ।
मिटेअमंगल गवै बधाई ॥
भूतनाथ भूतेश के संगी ।
काटहि फंद होही जो जंगी ॥
बाजहि गुरु को जब है डंडा ।
रोवत भूत पाहि बहु दंडा ॥
हाथीवान जब हाथ उठावै ।
उठा पटक तुरतहि मच जावै॥
बरहा जिनहि महिमा न्यारी ।
वहु भॉँति पूजहि नर नारी ॥
सिन्ध घाट के शेर कहावै।
जन-जन पर है सुख बरसावै॥
कहॉं तक महिमा कहो बखानी ।
तुम सम नहीं कोऊ जगदानी ॥
तुम्हरो तेज सकल महि छाई।
कहाँ तक देव करहु बड़ाई ॥
बाजे चहुँ दिश प्रभु को डंका ।
तुम सम नहि कोऊ रणवंका ॥
कृपा दॄष्टि जापर होई जावे।
सो अपार धन संपत्ति पावे ॥
भक्तन को प्रभु भोले भाले।
दुष्टन को वन जाते भाले ॥
सम दृष्टी देखहि सब काऊ ।
हिय में तनकहि भेद न भाऊ ॥
प्रात नमन कीनहि जो कोई ।
ताके सफल मनोरथ होई ॥
नहाँ-धोय रवि जलहि चढ़ावा ।
ताके तनह रोग न आवा ॥
जाके हिय में चैन न सोई ।
कुष्ट रोग जे जन के होई ॥
सो जन पाठ करहि मन लाई ।
प्रेम सहित जो मॉंनहु भाई ॥
रवि दिन ब्रत बालाजी कीजै ।
निज काया कंचन सी कीजै ॥
तुम्हरे चेला जगहि घनेरे ।
मानत तुमहि होई सब चेरे ॥
दुनियाँ देखही कृत्य तुम्हारे ।
पुलकि पुलकि मन मोद उछारे ॥
गौर वर्ण तन तेज विशाला ।
रथ आरूढ़ रहे परकाला ॥
तुम्हरो तेज प्रबल जगमाही ।
कोऊ न जगह जहॉं तुम नाही ॥
संकट में जो इनहि ध्यावै ।
सो जन सनमुख इनको पावै ॥
अति कुबुद्धि प्रभु होही दुखारी ।
ना जानहु पूजा अग्यारी ॥
देव दया दसहि पै कीजै ।
प्रेम भाव उर में भर दीजै ॥
परमाथर हित सद बुद्धि कीजै ।
हृदय आन आसन प्रभु लीजै ॥
दोहा
भय हरणे दुखभजने, जन जन के सुख धाम ।
मेरी भव बढ़ा हरो, पूरन होवे काम ॥
बुद्धिहीन मोह जानिए, पंडोखर सरकार ।
मन मंदिरहि विराजिए, करहुँ सदा उपकार ॥
जय श्री राम,
जय श्री पंडोखर सरकार